बिहार में फिर से NDA की सरकार
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और NDA ने एक ऐतिहासिक और जबरदस्त जीत दर्ज की है, जिसमें NDA ने 243 में से 202 सीटें जीतकर नया रिकॉर्ड बनाते हुए राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह जीत ना सिर्फ सीटों की संख्या के हिसाब से ऐतिहासिक है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के बदलते परिदृश्य के लिहाज से भी अभूतपूर्व है।
जीत की ऐतिहासिकता
2025 में NDA को मिली जीत 2010 के सबसे बेहतरीन प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ गई, जब गठबंधन ने 206 सीटें हासिल की थीं। इस बार भाजपा ने अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 89 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि जदयू ने जबरदस्त उछाल के साथ 85 सीटें प्राप्त कीं। LJP (राम विलास) को 19, HAM(S) को 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीटें मिलीं। NDA की यह जीत महागठबंधन के अब तक के सबसे बुरे प्रदर्शन के साथ आई, जिसमें RJD, कांग्रेस जैसी पार्टियाँ अपनी जमीन खोती नजर आईं।
सटीक सीट शेयरिंग फॉर्मूला
इस ऐतिहासिक जीत के पीछे NDA का सटीक सीट शेयरिंग फॉर्मूला रहा, जिसमें भाजपा और जदयू ने बराबर-बराबर 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा। सीटों का समावेश और संसाधनों का समान वितरण चुनाव अभियान में मजबूती लेकर आया। छोटे दलों के साथ गठबंधन ने वोटों के बँटवारे को रोकने में मदद की और NDA की ताकत को सीधे-सीधे सीटों में तब्दील करने का रास्ता बनाया।
सामाजिक समीकरणों का विस्तार
इस चुनाव में NDA ने केवल परंपरागत जातीय समीकरणों पर निर्भर रहने के बजाय सामाजिक समीकरणों का विस्तार किया। मुस्लिम-यादव समीकरण के इतर इस बार NDA ने EBC (अर्थिक रूप से पिछड़ी जातियाँ), महिलाओं और अन्य पिछड़े वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। भाजपा ने उच्च जातियों के वोटों को अपने साथ जोड़ा, जबकि जदयू ने कुर्मी और EBC समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत की। दलित और पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व, LJP (राम विलास) और HAM(S) जैसे दलों के साथ गठबंधन ने NDA को हर वर्ग का वोट दिलाने में मदद की।
महिला और युवा वोटर का योगदान
2025 के बिहार चुनावों में महिला और युवा वोटर्स ने NDA को निर्णायक बढ़त दिलाई। Nitish सरकार की महिला सशक्तिकरण योजनाएँ और सुरक्षा का मुद्दा महिलाओं के लिए खास आकर्षण रहा। इस बार करीब 14 लाख नए मतदाता जुड़े, जिनमें काफी संख्या महिला और युवा वोटरों की थी, जिससे NDA के वोटों में स्पष्ट बढ़त देखने को मिली।
Nitish Kumar का प्रभाव
बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे Nitish Kumar की लोकप्रियता और सुशासन की छवि ने फिर एक बार NDA को बड़ी जीत दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई। “बिहार का मतलब Nitish Kumar” जैसे नारे और “टाइगर अभी ज़िंदा है” की गूंज ने जदयू को नई ऊर्जा दी। Nitish की प्रशासनिक कोशिशें, विकास के उपाय और स्थिरता की चाह ने मतदाताओं में विश्वास पैदा किया।
विपक्ष का कमजोर प्रदर्शन
विपक्षी महागठबंधन (RJD-कांग्रेस सहित) 2025 के चुनाव में बुरी तरह पिछड़ गया। RJD जो पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी थी, इस बार सिमट गई और कांग्रेस के प्रदर्शन में गिरावट आई। Prashant Kishor की Jan Suraaj और Jan Shakti Janata Dal जैसी नई पार्टियाँ भी कोई असर नहीं डाल सकीं। AIMIM जैसी छोटी पार्टियों ने कुछ जगह BJP को चुनौती जरूर दी, लेकिन उनकी कामयाबी सीमित रही।
जनादेश का संदेश
इतनी बड़ी जीत के बाद यह स्पष्ट है कि बिहार की जनता ने राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक समावेशन और विकास के मुद्दों को लेकर NDA पर भरोसा जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री Nitish Kumar की “डबल इंजन सरकार” की नीति ने मतदाताओं का दिल जीता। जनता ने पुरानी जातीय और धार्मिक राजनीति से हटकर विकास और सुशासन के नाम पर वोट दिया।
निष्कर्ष
बिहार 2025 के विधानसभा चुनाव का परिणाम भाजपा और NDA के लिये ऐतिहासिक रहा, जिसमें राजनीतिक रणनीति, सामाजिक समीकरणों, प्रशासनिक छवि और महिला-युवाओं की भागीदारी ने संयोजन कर जीत को सुनिश्चित किया। बदलते हुए सामाजिक परिदृश्य, मजबूत गठबंधन, और योग्य नेतृत्व ने NDA को न केवल सीटों की संख्या का रिकॉर्ड दिया, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए राज्य का राजनीतिक परिदृश्य भी बदल दिया है।
यह जीत राजनीतिक विश्लेषण के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गई है, जिसमें गठबंधन राजनीति की ताकत, विकास के एजेंडे, सामाजिक समावेशन और नेतृत्व की ट्रस्ट वैल्यू ने नई मिसाल कायम की है। बिहार के मतदाताओं ने जनादेश के जरिए राज्य की दिशा का चयन किया है, जो आने वाले वर्षों में नए संभावनाओं और समावेशी विकास की राह दिखाएगा।
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