नेपाल में भ्रष्टाचार आंदोलन
काठमांडू, 10 सितम्बर 2025। नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य प्रमुख शहर इन दिनों एक अनोखे जनांदोलन के गवाह बन रहे हैं। हजारों की संख्या में युवा, खासकर जनरेशन ज़ेड (Gen Z) यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है। नारों, पोस्टरों और सोशल मीडिया अभियानों से गूंजता यह आंदोलन अब राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन गया है। नेपाल में भ्रष्टाचार आंदोलन
भ्रष्टाचार से उपजी नाराज़गी
नेपाल में भ्रष्टाचार आंदोलन नेपाल लंबे समय से सरकारी विभागों और राजनीतिक तंत्र में भ्रष्टाचार की समस्या से जूझ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे बुनियादी क्षेत्रों में धन की हेराफेरी ने आम नागरिकों का भरोसा तोड़ा है।
काठमांडू विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य कार्की कहते हैं— “हमारे भविष्य को रिश्वत और सिफारिश ने बंधक बना लिया है। नौकरी पाने के लिए प्रतिभा नहीं, पैसा और संपर्क चाहिए। हम यह व्यवस्था बदलकर रहेंगे।” नेपाल में भ्रष्टाचार आंदोलन
आंदोलन का स्वरूप
- पिछले कुछ सप्ताहों से राजधानी सहित पोखरा, विराटनगर और अन्य शहरों में छात्र और युवा कार्यकर्ता एकत्र हो रहे हैं।
- प्रदर्शनकारी हाथों में “भ्रष्टाचार मुक्त नेपाल चाहिए” और “नौकरी अधिकार है, सौदा नहीं” जैसे नारे लिखे तख्तियां लिए नज़र आते हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #NoCorruptionNepal और #GenZForChange जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
- आंदोलन पूरी तरह अहिंसक और लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा है। नेपाल में भ्रष्टाचार आंदोलन
एक युवा कार्यकर्ता सुष्मिता थापा कहती हैं— “हम किसी राजनीतिक दल के एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं। यह आंदोलन नागरिकों का है, खासकर युवाओं का, जो अब चुप नहीं बैठ सकते।”
युवाओं की मुख्य मांगें
- सभी सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता और ऑनलाइन प्रक्रिया।
- भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं पर त्वरित और सख्त कार्रवाई।
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट का सही उपयोग।
- हर सरकारी योजना का डिजिटल लेखा-जोखा सार्वजनिक करना।
- नीति-निर्माण में युवाओं की प्रत्यक्ष भागीदारी।

सरकार की प्रतिक्रिया
नेपाल सरकार ने शुरुआती दौर में इन प्रदर्शनों को सामान्य असंतोष मानकर नज़रअंदाज़ किया, लेकिन जब आंदोलन तेज़ हुआ, तो कई मंत्रियों ने सफाई दी। भ्रष्टाचार के कुछ मामलों की जांच भी शुरू की गई है। हालाँकि आंदोलनकारियों का कहना है कि यह केवल प्रतीकात्मक कदम हैं। पोखरा की छात्रा अनुष्का उपाध्याय कहती हैं— “सरकार केवल दिखावा कर रही है। असली सुधार तभी होगा जब दोषियों को जेल भेजा जाएगा और सिस्टम बदलेगा।”
समाज पर असर
- इस आंदोलन ने नेपाल समाज में नई चेतना जगाई है।
- महिला भागीदारी उल्लेखनीय रही है, बड़ी संख्या में छात्राएँ और युवा पेशेवर इसमें शामिल हो रही हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों से भी आवाज़ उठ रही है, जिससे आंदोलन को राष्ट्रीय स्वरूप मिल रहा है।
- विदेशों में बसे प्रवासी नेपाली युवाओं ने ऑनलाइन और आर्थिक सहयोग से समर्थन दिया है।
चुनौतियाँ
- राजनीतिक दल आंदोलन को अपने हित में मोड़ सकते हैं।
- लंबे समय तक युवाओं की एकता और ऊर्जा बनाए रखना आसान नहीं होगा।
- सरकार अगर दमनकारी कदम उठाती है, तो आंदोलन के सामने कठिनाइयाँ खड़ी हो सकती हैं।
भविष्य की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सरकार युवाओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करे, तो यह आंदोलन नेपाल के लिए लोकतांत्रिक सुधारों का नया अध्याय खोल सकता है।
सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानून, ई-गवर्नेंस और डिजिटल पारदर्शिता, तथा युवाओं को नीति-निर्माण में जगह— ये कदम नेपाल को नए युग की ओर ले जा सकते हैं।
निष्कर्ष
नेपाल में जनरेशन ज़ेड का यह आंदोलन केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष नहीं, बल्कि एक नए नेपाल का सपना है। यह साबित करता है कि जब युवा संगठित होते हैं, तो बदलाव अवश्यंभावी हो जाता है। नेपाल में भ्रष्टाचार आंदोलन
जैसा कि एक प्रदर्शनकारी ने कहा— “भ्रष्टाचार हमारी नियति नहीं, यह हमारी सबसे बड़ी चुनौती है। और हम मिलकर इसे हराएंगे।”
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