लाडो योजना: बेटियों के उत्थान और सशक्तिकरण की पहल

लाडो योजना: — एक सामाजिक पहल

भारत में बेटियों के हक और उनके उत्थान के लिए समय-समय पर अनेक योजनाएँ चलाई गई हैं। “लाडो योजना:” (जिसे कुछ राज्यों में लाडो प्रोत्साहन योजना के नाम से जाना जाता है) उन पहलों में से एक है जिसका उद्देश्य बेटियों के जन्म से लेकर उनकी शिक्षा और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाना है। नीचे इस लेख में लाडो योजना की विशेषताएँ, लाभ, चुनौतियाँ और महत्व पर चर्चा की गई है।

लाडो योजना क्या है?

लाडो योजना:” एक सरकारी सामाजिक-कल्याण कार्यक्रम है जो गरीब व कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों की बेटियों के लिए शुरू की गई है। इसका लक्ष्य है: बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करना।

  • बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना और स्कूलों में नामांकन व उपस्थिति सुनिश्चित करना।
  • शिशु मृत्यु दर और बाल विवाह जैसी समस्याओं में कमी लाना।
  • बेटियों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति सुधारना।
  • राजस्थान सरकार की लाडो प्रोत्साहन योजना और हरियाणा की दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना इसके प्रमुख उदाहरण हैं। 

राजस्थान की लाडो प्रोत्साहन योजना की मुख्य बातें

राजस्थान में इस योजना के कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस तरह हैं:

  • योग्यताः गरीब परिवारों में जन्मी लड़कियाँ इस योजना की पात्र होती हैं। 
  • राशि में वृद्धि: इस योजना के अंतर्गत अब सहायता राशि को पहले के ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.50 लाख कर दिया गया है। 
  • भुगतान प्रणाली: इस राशि का भुगतान कुल सात किस्तों में किया जाएगा। 

हर किस्त एक-एक निश्चित चरण से जुड़ी है जैसे जन्म, पहली वर्षगांठ व टीकाकरण पूरा होना, प्रथम कक्षा में प्रवेश, छठी और दसवीं कक्षा में प्रवेश आदि। अंतिम किश्त (सातवीं) तब मिलती है जब लड़की स्नातक उत्तीर्ण करे और 21 वर्ष की आयु पूरी हो जाए। 

  • प्रारंभ तिथि: यह राशि 1 अगस्त 2024 से राज्य में पूरी तरह लागू की गई है। 
  • लाभ का उपयोग: पहली छह किश्तियाँ माता-पिता या अभिभावकों के खाते में दी जाएँगी और अंतिम किश्त लड़की के खुद के बैंक खाते में भेजी जाएगी। 

हरियाणा की दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना की विशेषताएँ

हरियाणा सरकार ने भी महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए “Deen Dayal Laado Laxmi Yojana” शुरू की है। इसकी कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

  1. माहवारी आर्थिक सहायता: इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह ₹2,100 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। 
  2. उम्र सीमा व पात्रता: ऐसी महिलाएँ जो 23 वर्ष या उससे अधिक आयु की हों, शादीशुदा हों या अविवाहित हों, तथा जिनका वार्षिक पारिवारिक आय ₹1 लाख से कम हो, वे पहली प्राथमिकता में होंगी। 
  3. राशि व बजट: इस योजना के लिए बजट लगभग ₹5,000 करोड़ निर्धारित किया गया है। लाडो योजना:
  4. लॉन्च की तिथि: यह योजना 25 सितंबर 2025 से लागू होगी, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मतिथि के अवसर पर शुरू की जा रही है। 

लाडो योजना: का महत्व

लाडो योजना जैसी योजनाएँ कई मायनों में समाज और राज्य के लिए महत्वपूर्ण हैं:

  • लिंग समानता में सुधार: बेटियों और महिलाओं को समान अवसर देना, सामाजिक भेदभाव कम करना।
  • शिक्षा का प्रसार: शिक्षा के माध्यम से लड़कियों का आत्म-विश्वास बढ़ता है, उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलता है।
  • स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण: जन्म के बाद के स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण आदि पर ध्यान देने से बालिका की जीवन-प्राप्ति दर बेहतर होती है।
  • आर्थिक सुरक्षा: सहायता राशि से आर्थिक बोझ कम होता है और परिवार की लागत से कुछ राहत मिलती है।
  • सामाजिक जागरूकता: जब सरकार ऐसी योजनाएँ चलाती है, तो समाज खुद बदलता है। बेटियों के प्रति सोच बदलती है, बच्चियों को स्कूल भेजने की प्रवृत्ति बढ़ती है।

लाडो योजना:

चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएँ

हालाँकि लाडो योजना के लाभ अनेक हैं, लेकिन उसे सफल बनाने हेतु कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  • जानकारी की कमी: बहुत से गरीब परिवारों तक योजना की जानकारी सही तरीके से नहीं पहुँचती।
  • प्रक्रिया की जटिलताएँ: बैंक खाते, दस्तावेज़ीकरण, डीबीटी हस्तांतरण आदि में देरी या गड़बड़ी हो सकती है।
  • भ्रष्टाचार व अनियमितताएँ: लाभ न पहुँचने के मामले, सही समय पर भुगतान न होने जैसे मुद्दे सामने आ सकते हैं।
  • समय-समय पर समीक्षा की आवश्यकता: योजना की प्रभावशीलता समय-समय पर मापी जानी चाहिए, ताकि जहाँ सुधार की जरूरत हो वहाँ कदम उठाए जा सकें। लाडो योजना:

इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए यह सुझाव दिए जा सकते हैं कि सरकारी स्तर पर जागरूकता अभियान बढ़ाया जाए, मोबाइल और डिजिटल माध्यमों से आवेदन प्रक्रिया सुगम हो, और लेट-फीस व बाधाएँ कम हों।

निष्कर्ष

लाडो योजना:” जैसा कार्यक्रम समाज के लिए सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को सशक्त बनाता है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण में भी बदलाव लाता है। बेटियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान मिलना केवल उनके लिए बल्कि पूरे परिवार और समाज के लिए लाभदायक है।

यदि योजना को पूर्ण रूप से क्रियान्वित किया जाए, पारदर्शिता और सही समय पर लाभ पहुँचाया जाए, तो “लाडो योजना:” यह सुनिश्चित कर सकती है कि बेटियाँ भी विकास की धारा में पीछे नहीं रहें।

Leave a Comment